" राहू -केतु से बचके रहना "
" राहू -केतु से बचके रहना "
कलम आज उठेगीं ,
फिर लोग जागेंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं ,
क्रांति गीत गायेंगे !!
जो जख्म मासूमों को मिलीं ,
हम उनको महरम लगायेंगे !
अबलाओं के आंसुओं को ,
हम सांत्वना से पोंछ डालेंगे !!
हम आशा को जगायेंगे ,
ढाढस उन्हें बन्धायेंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं
क्रांति गीत गायेंगे !!
कलम आज उठेगीं ,
फिर लोग जागेंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं
क्रांति गीत गायेंगे !!
दूषित नेतृत्व के सरों को ,
हमें कुचलना आज होगा !
ना जाने कितने उनके आस्तीनों ,
में जहरीला सांप होगा !!
सर्पों को विषरहित बनायेंगे ,
सबक उनको सिखायेंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं ,
क्रांति गीत गायेंगे !!
कलम आज उठेगीं ,
फिर लोग जागेंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं
क्रांति गीत गायेंगे !!
दर्द का एहसास इनको है कहाँ ,
प्रहार अपने लोगों पर करें !
जिसने उनको सर बिठाया ,
क्या सर उन्हीं का फोड़ दें ?
अब नहीं हम सह सकेंगे ,
कैद से आजाद होंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं ,
क्रांति गीत गायेंगे !!
कलम आज उठेगीं ,
फिर लोग जागेंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं ,
क्रांति गीत गायेंगे !!
क्रांति के शंखनाद का ,
हो तुम्हें भी ज्ञान भी !
शांत धरती में छुपी है ,
सुलगती सुसुप्त ज्वालामुखी !!
प्रलय के तांडव होंगे ,
चहुदिश हाहाकार होंगें !
मशालें प्रज्वलित होंगीं ,
क्रांति गीत गायेंगे !!
कलम आज उठेगीं ,
फिर लोग जागेंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं ,
क्रांति गीत गायेंगे !!
हमको लुटा ...देश लुटा ,
और सपनों को रौंद डाला !
करना था कुछ और ही ,
सम्पूर्ण समाज को तोड़ डाला !!
अब आप नहीं बचेंगे ,
और ना बच पाएंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं ,
क्रांति गीत गायेंगे !!
कलम आज उठेगीं ,
फिर लोग जागेंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं ,
क्रांति गीत गायेंगे !!
जग गए हैं लोग सारे ,
क्रांति का श्री गणेश होगा !
राहू-केतु के घृणित विचारों का ,
अब देखो अंत होगा !!
सुनहरा दिन दिखेगा ,
काले बादल भागेंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं ,
क्रांति गीत गायेंगे !!
कलम आज उठेगीं ,
फिर लोग जागेंगे !
मशालें प्रज्वलित होंगीं ,
क्रांति गीत गायेंगे !!
