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अर्चना तिवारी

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अर्चना तिवारी

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राधा- कृष्ण प्रेम

राधा- कृष्ण प्रेम

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कान्हा झूला झूलत तू मेरे नैन समाया

ओढ़ पीतांबरी सबके मन को भाया l

सलोने सिर पर तेरे मोर मुकुट है सोहे

तेरी अँखियाँ मेरो मन ना बिसरावे l

मोहन तेरी बाँसुरी के भाग जागे 

अधरों पर सज तेरी साँसों का सुख पावे l

राधा की पाजेब भी ना अब बजती है

तेरे वियोग में वे मन की ना कहती है l

कान्हा योग ना जानूँ वियोग न जानूँ 

तेरे जीवन के लुका छिपी खेल ना जानूँ l

याद आवे यमुना तट का खेल निराला 

स्वप्न में भी नाचूँ तेरी मुरली धर गोपाला।

मोहे नींद न आवे जागूँ मैं दिन रैन

एकाकी जीवन पावे कबहुँ न चैन l

तेरे बिन सूनी है मेरी जिंदगानी 

साँवरे तेरी बाट जोहैं राधा रानी l

नाम जपूँ तेरा साँवरे मैं तो सुबह - शाम

 अब तो मोहे दर्शन दो घनश्याम l



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