क़दमों को आज भी
क़दमों को आज भी

1 min

226
आज फिर लड़खड़ाते कदमों से
गिरने की कोशिश की
यह लालच संजोये हुए कि
आप आ जाओगे
फिर से मुझे चलना सिखाने को
मेरी उंगली पकड़ के
मुझे गिरने नहीं दोगे...
काश आपकी पदचाप फिर सुन पाता,
या काश, मेरे क़दमों को गिरते हुए
आपकी आदत ना होती
साथ थे आप तो पैर अल्हड़ थे
घिसटते कदम थे चाल बेताल थी
विश्वास था फिर भी ना गिरने का
आज आपकी याद है...
पैर तने हैं, कदम सधे हैं
चाल भी सीधी है
फिर भी डर है कि
आपकी राह को छोड़ कर
कहीं गिर ना जाऊं