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Mahesh Sharma Chilamchi

Others

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Mahesh Sharma Chilamchi

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प्यार की तासीर

प्यार की तासीर

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छोड़ नफ़रत ,प्यार की तासीर दे

बांट खुशियां, मत किसी को पीर दे

राज फैला है फिज़ा में नेह तो,

क्यों न फिर सबको हबीबी तीर दे,

छोड़ नफ़रत प्यार की तासीर दे।


खुशमिजाजी तेरे मन का मूल है,

स्वार्थ की इस पर जमीं क्यों धूल है,

रोते के लब पर हंसी जो खिल गई,

प्यासे को मरुभूमि में ज्यों नीर दे,

छोड़ नफ़रत, प्यार की तासीर दे।


गफलतों में जी रहा है आदमी,

घूंट विष का पी रहा है आदमी,

अपनापन और गर्मजोशी साथ रख,

फिर भला मत तू कोई जागीर दे,

छोड़ नफ़रत, प्यार की तासीर दे।


अब सहोदर गैर बेगाने हुए,

आज दिल के तार अन्जाने हुए,

लड झगड़ पर, गफलतों को दूर कर,

लग गले चल बांट अपनी भीर ले,

छोड़ नफ़रत प्यार की तासीर दे।



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