प्यार की झप्पी।
प्यार की झप्पी।
बहुत दिनों से उदास था,
बस उसका ही ख्याल था,
वो कैसी होगी,
जो पर्दे के पीछे रहती,
सामने आने से कतराती,
खूब घुमाती,
आपकी ऐसी-तैसी कर जाती,
दिल के तार तक छेड़ जाती,
लेकिन कभी पास नहीं आती।
बहुत से कल्पनाएं करता,
तरहां तरहां के मनसूबे बनाता,
दिन रात उसे ज़हन में रखता,
फिर भी पूरी तस्वीर से
नावाक़िफ़ रहता।
कई वैलेंटाइन आए और गए,
उम्मीद! शायद वो कहीं से
टपक पड़े,
कभी भी सच नहीं हो पाता,
एक अधूरा ख़्वाब बन के
रह जाता।
लेकिन उम्मीद पे दुनिया कायम,
ये सोच दिल खुश हो जाता,
और अपने वैलेंटाइन के
इंतजार को व्याकुल हो जाता।
