प्यार भरी सुबह
प्यार भरी सुबह
आओ प्यार करते है
नफ़रतों के दौर में
दिलों में प्रेम गीत भरते है
तुम अपनी आँखों की
गहरी झील से कहो
उसका सारा पानी सोख ले
यह लहूलुहान निशाँ
सारे जहां से
अपनों होठों के दुलार से कहो
आओ इस बेरंग दुनिया को
फिर प्यार के रंगों से
हम मिलकर रंगीन करते है
तुम्हारी ज़ुल्फों सी एकता
जाने कब इस इंसान में आएगी
अपने माथे की सिलवटों को कहो
अब और न उलझे
इनकी उलझन को सुलझाने में
यह दुनिया और उलझ रही है
तुम्हारे सुर्ख़ गालों की रंगत
जाने कब इसकी बेज़ान
ज़िन्दगी में बहार लाएगी
तुम्हारी लौंग का लश्कारा
जितना भी तुम्हारे लबों को चूमेगा
उतना ही यह दीवाना
अपनी मस्ती में झूमेगा
तुम्हारी पलकों की चिलमन
जाने कब इन्हें राह दिखाएगी
सच कहूं तो नही जानता
कब तुम्हारे नूर सी
यह दुनिया जगमगाएगी
मैं तुमसे जो मुहब्बत करता हूँ
क्या वो मुहब्बत
मुझे फिर इस दुनिया से
मिल पाएगी
मेरे दिन रात क्या
इसी बेचैनी में बीत जाएंगे
कब यह नफ़रत की
अंधियारी रात बीतेगी
और कब तेरे मेरे
मिलन की वो
प्यार भरी सुबह आएगी....
