पूरे चाँद की छत
पूरे चाँद की छत
पलकों में मूँदे मीठे सपने
ओंठ अधखुले, आँखें मींचे,
अल्हड़ से अलसाए पड़े है
पूरे चाँद की छत के नीचे।।
लम्हों को मुट्ठी में बाँधे
यादें रख के तकिए के नीचे,
मदहोशी में सोए पड़े है
पूरे चाँद की छत के नीचे।।
ओढ़ चुनरिया तारों वाली
चादर को गर्दन तक खींचे
जुन्हाई में भीग रहे है
पूरे चाँद की छत के नीचे।।
क्या छूटा, क्या रहा संजोया
देख रहे है मुड़ के पीछे,
लम्हे यादों में उलझ पड़े है
पूरे चाँद की छत के नीचे।।