पुस्तकालय
पुस्तकालय
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कुछ किताबों पे
बिखरी स्याही
उनके रंग को बना देती है
और भी स्याह
और धुल जाते हैं कागज़।
कुछ किताबों पे
वो ही स्याही बिखर कर
शब्दों को बना देती है
एक पुस्तकालय
जो कभी बंद नहीं होता
वो समय ही है
जो बटोर लेता है
सारे क्षण जीवन के
और फिर फेंक देता है उन्हें
ताकि मानव उन्हें चुन सके
और संभव कर सके
समेटना जीवन रस की
बिखरी स्याही को
वो समय ही है
जो फेंक देता है
सड़कों पर अपेक्षाएं
और फिर सड़कों पर
अपेक्षाओं को कुचल कर कई पैर
उनके लहू को बना देते हैं
बिखरी स्याही