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Vijay Kumar parashar "साखी"

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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पुरुष को श्रृंगार की जरुरत नहीं

पुरुष को श्रृंगार की जरुरत नहीं

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पुरुष को श्रृंगार की जरूरत नहीं है

कुदरत ने इन्हें खूबसूरती बख्सी है


नागमणि नर नाग के पास होती है,

पूरी दुनिया नाग की दीवानी होती है,


नर को आभूषण की जरूरत नही,

प्रकृति ने इन्हें जन्म से सुंदरता दी है


शिव के गले मे नाग की शोभा होती है

नर को प्रकृति ने मन की सुंदरता दी है


पुरूष को श्रृंगार की जरूरत नहीं है

कुदरत ने इन्हें खूबसूरती बख्सी है


मोर पंख ही सबसे सुंदरतम होता है,

श्री कृष्ण के सीस का मुकुट होता है,


प्रकृति ने बिन श्रृंगार सुंदरता दी है,

पुरुष को प्रकृति ने स्व:सुंदरता दी है


मृग-कस्तूरी नर हिरण में होता है

नर हिरण बहुत ख़ूबसूरत होता है


पुरुष को श्रृंगार की जरूरत नहीं है

क़ुदरत ने इन्हें खूबसूरती बख्सी है


सजते, संवरते वो है, जिनमे दाग है

वो क्या सजेंगे जो बेदाग बाग है


प्रकृति ने पुरुषों को वो नेमत बख्सी है,

की, बिन श्रृंगार ही वो सुनहरा पक्षी है


पुरुष को श्रृंगार की जरूरत नहीं है

कुदरत ने इन्हें खूबसूरती बख्सी है



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