पत्नी बन जाएं पति की सेक्रेटरी
पत्नी बन जाएं पति की सेक्रेटरी
पत्नी बन जाएं पति की सेक्रेटरी !.
मेरा ख्वाब था बनने का बड़ा अधिकारी,
हसीन हरफनमौला मेरी हो एक सेक्रेटरी.
सपना सपना ही रहा जीकर आम जिंदगी,
सेवानिवृत्ती पहिले बनके मामूली अधिकारी.
सेवानिवृत्तीने बनायां मुझे पत्नी का सेक्रेटरी,
पत्नीने बॉस बनाकर चालू की थी हूकमशाही.
देख कर उसकी ये अनोखा अदा व दिवांनगी,
मुझे याद आई थी नई शादीवाली वह जिंदगी.
शादी के बाद उसकी हर बात में सदा रजामंदी,
जैसे बना बाप करने लगी छोटी–मोटी मनमानी.
दिनोंदिन उसकी हरकते चढ़ने लगी उची सीढ़ी,
व्यस्तता में भी झेल रहा था उसकी मैं परेशानी.
बच्चों ने बसाली थी अपनी–अपनी अलगसे ग्रहस्थी,
आंखो से देख रहा था मैं उनकी खुशहाल ज़िंदगानी.
मैं ने भी याद की थी वह शुरुवाती शादी–शुदा जिंदगी,
लेकिन मैं झेल रहा था बूढ़ापे में जोरू की मनमानी.
अभी वह इंतजार में थी पति के सेवानिवृत्तीकी,
गुलाम पति पर उसे करनी थी नित्य दादागिरी.
सेवा निवृत्ती के बाद बनी थी वह षड्यंत्रकारी,
मुझ पर बौछार हो रही थी रोज पत्नी हथकंडोकी.
उसके इस बर्ताव से मुझे भी हो रही थी परेशानी,
समस्या समाधान हेतु खर्च हो रही थी बुध्दीमानी.
मेरी सरकारी सेवा में भी हैं उसकी समान भागीदारी,
इसलिए पेंशन में भी कानून उसकी आधी हिस्सेदारी.
उसके युक्तीवाद में थी मेरे भी आम सहमती,
मुझे हरहाल में बचानी थी बची इज्जत अपनी.
मैं कहाँ, तू बन जा मेरी अर्धांगीनी से सेक्रेटरी,
मेरे आधी पेंशन होगी हर माह तेरी वेतनदारी.
पती प्रस्ताव को उसने अर्पण की थी श्रद्धांजली,
पाप–पुण्य लेखा–जोखा यही खत्म करना हैं पति.
सेवा के बदले, पति को भी पत्नीसेवा देनी पड़ेगी,
हिसाब पूरा करके बची-कूची जिंदगी गुजारणी होगी.
तभी इस जीवन से वास्तविक मुक्ति मिलेगी,
सुनकर पति अरमान धीरे –धीरे सिमटने लगे,
पत्नी उसे अभी बदले के मूड में दिखने लगी,
आने वाले तूफान को उसने अच्छे से भाप लिया,
पत्नी को सेक्रेटरी बनाने का नशा उसका उतर गया।