पति का बटुआ
पति का बटुआ
आज की नारी हो
या पुरातन की
पति का बटुआ
कल भी उसको प्यारा था
आज भी उसको प्यारा है।
कितना भी आत्मनिर्भर हो
कितना भी नारी सबल हो
नाम नहीं चलता है
पति का बटुआ
कल भी उसको प्यारा था
आज भी उसको प्यारा है।।
बिना पति के बटुए से
बिना उसके रुपये से
काम नहीं चलता है
पति का बटुआ
कल भी उसको प्यारा था
आज भी उसको प्यारा है।।
हो लाखों की ढेरी पर
हो बाजार की फेरी पर
आराम नहीं मिलता है
पति का बटुआ
कल भी उसको प्यारा था
आज भी उसको प्यारा है।।
पूरे करती सपने सबके
आज की नारी बनके
पर खुद पर ध्यान नहीं मिलता है
पति का बटुआ
कल भी उसको प्यारा था
आज भी उसको प्यारा है l”
