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Kalyani Nanda

Others

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Kalyani Nanda

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पता ना चला

पता ना चला

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जिन्दगी की सीढियाँ, चढ़ते चढ़ते अकेलापन,

कब मुझे अपने लपेट में ले लिया,

पता ना चला । ।


अपनापन का अहसास, कब पीछे छूट गया,

और कब तन्हाई ने मुझे आगोश में ले लिया,

पता ना चला । ।


बहुत दूर तक सुख, मेरा दामन पकड़ कर चल रहा था,

पर ना जाने कब आँसुओं के बारिश ने, दामन मेरा भीगो दिया,

पता ना चला । ।


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