परिश्रम ही सफलता की कुंजी है
परिश्रम ही सफलता की कुंजी है
बच्चों! मैं सुनाऊं तुम्हें एक कहानी।
कहानी में ना राजा है ना रानी।।
एक था कछुआ, एक था खरगोश।
खरगोश तो घमंड में रहता मदहोश।।
टोकरी वाला कह के कछुए को चिढ़ाता।
अरे ! इसे तो चलना भी नहीं आता।।
मुझे देख, मैं कितना तेज भागता?
कछुआ बेचारा चुपचाप सुनता रहता।।
सुनकर खरगोश के ताने कछुए को लग गई ठेस।
बहुत हुई तुम्हारी बक -बक, हो जाए अब, हमारी रेस।।
प्रतियोगिता की हुई तैयारी।
अब थी दोनों की दौड़ने की बारी।।
कछुआ धीरे धीरे लगा दौड़ने।
खरगोश बहुत तेज लगा भागने।।
खरगोश ने देखा पिछे मुड़ कर।
कछुआ ना आया कहीं नजर।।
फिर सोचा ,थोड़ा आराम कर लूं,।
रेस पूरी मैं एक सेकंड में कर लूं।।
खरगोश को आ गई गहरी नींद।
कछुए को रेस में मिल गई जीत।।
बच्चों ! लगातार जो मेहनत करता।
उसे ही मिलती है सफलता।।