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Kavita Sharma

Abstract

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Kavita Sharma

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प्रेम का रंग

प्रेम का रंग

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लाल रंग है प्रेम का

मन में रखिए प्यार

भक्ति सच्ची हो तो

प्रसन्न होते भगवान

योग, तप, दान, ध्यान

से ईश्वर नहीं मिल पाते

कठिन तपस्या करते साधु

फिर भी दर्शन न पाते

प्रेम भाव से तो झूठे बेर भी

प्रभु, प्रेम-भाव से खा जाते

प्रेम धागे में बंधकर तो

द्रौपदी की लाज बचाते

प्रभु को प्रेम ही प्रिय है

प्रेम में बंध चले आते 



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