प्रार्थना
प्रार्थना
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हे माँ दुर्गे
कुछ इस तरह हो
हर वर्ष तेरा आगमन।
निर्मल आकाश हो
हो हरी भरी वसुन्धरा
वायु जल सर्वत्र हो
पवित्र हो वातावरण।
कष्टों से मिले मुक्ति
विघ्न बाधाएँ हों दूर
पूर्ण हों मनोरथ सब
मिले तेरी कृपा दृष्टि।
न व्यथित हो कोई
न हो कोई पीड़ित
न सूना हो कोई आंगन
भर जाएं रीते मन।
वंचित न रहे कोई
मिले जन जन को
अपने हिस्से की धरती
अपने हिस्से का गगन।
हे माँ दुर्गे
तुझे शत शत नमन।