पिता
पिता
1 min
195
पिता के साए में घर महफूज़ लगता है
हर मुश्किल को जाने कब वो खुद ही झेल लेता है,
सुबह से रात अथक श्रम करके
अपने परिवार के लिए खुशियाँ बटोर लेता है,
बच्चों की मुस्कराहट की खातिर
अपने सुख को ताक पर रख देता है,
अच्छे भविष्य के लिए अनुशासन भी कड़ा कर देता है,
उसके प्यार जताने का तरीका अलग है शायद
कठोरता में भी कोमलता छिपी है शायद,
अपने से ऊँचा और आगे हमें
बढ़ते देखना चाहता है,
हाँ वह 'पिता ' ही है जो बच्चे के
नाम में अपना नाम ऊँचा होते देखना चाहता है ।
