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Ashish Yadav

Others

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Ashish Yadav

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पिछली शुक्रवार

पिछली शुक्रवार

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पिछली शुक्रवार को मैं अपनी जान देना चाहा। 

हाथों में कुल्हाड़ी लेकर गले से लगाया। 

परिवार और उन सपनों का भी याद आया। 

मेरा प्यार भी मुझे जी भर के रुलाया। 

पिछली शुक्रवार को मैं अपनी जान देना चाहा।।


उन यारों की टोली, उन गाँवों की बाते। 

वो ख्वाबों की दिन, वो प्रेम भरी यादें।

वो स्कूल का वक्त, वो आंसू भरी आंखें।

वो उनकी वादे, वादों से निकलती अंतिम चीखें।।

 

मैंने उनको खुदा माना, 

वो मुझको अपने दिल से निकाला। 

अब नींद मुझे आती नहीं, 

इसके पहले जब गांव आया था।

मां के गोद में सर रखकर जी भर के सोया था।

हाथों में कुल्हाड़ी लेकर गले से लगाया। 

पिछली शुक्रवार को मैं अपनी जान देना चाहा।।


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