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Richa Pathak Pant

Others

5.0  

Richa Pathak Pant

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फूट गये अब तो आमों में भी बौर

फूट गये अब तो आमों में भी बौर

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फूट गये अब तो आमों में भी बौर।

चल पड़े प्रियतम तुम किस ओर।

क्या मालूम था आयेगा इक दिन,

प्रीत का ऐसा भी एक दौर।


फूलेंगे चम्पा, फूलेगी चमेली।

फैलेगी पीली सरसों चहुँ ओर।

बहेगा समीर संदली सुरभि लिए,

कसक उठेंगे हृदय के पोर।




पवन भी संदेशा लाता नहीं तुम्हारा।

ठहरे भग्न हृदय अब किस ठौर।

भूलूँ क्षण भर को भी तुम्हें तो,

कहो भूलूँ भी किस तौर।




बंद कानों में भी आती है कुहुक

कोयलिया की फैली जो चहुँ ओर।

डालूँ किस पर जब रहा नहीं,

तुम पर ही मेरा कोई जोर।




आओगे तुम तो मेरे हृदय-पुष्प

खिलेंगे। ऋतु कोई सी भी होगी,

मेरे हृदयाँचल में वसन्त का

रहेगा न कोई ओर न छोर।


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