फटी जेब
फटी जेब
शराब की लत
धीरे धीरे कर रही
मौत के मुहाने पर खड़ा
शारिरिक औऱ आर्थिक
स्थितियां डांवाडोल
समझाइश रास्ता भूल गई
घर हो रहे उजाड़
आंसू सूख चुके
अपशब्द कर रहे बसेरा
अवगुण के जाल में फंसा
मानव
त्योहारों पर खुशियां
नही बिखेरता
क्योंकि उसकी जेब फटी हुई
उधार माँगता
लगता भिखारी
दुर्दशा जीवन की
बच्चों एवं परिवार के लिए
आवश्यकताओं की पूर्ति
कहाँ से करें
कुछ बचे पैसों से
पीने लगा हल्की
महंगी की अब उसकी
औकात भला अब कहाँ
दोस्त भी दूर रहने लगे
साथ छूटने लगे
मगर शराब नही छूट रही
कर रही पीछा
मौत की तरह
जेबे फटी
बीमारी का इलाज
अब होगा कैसे
पड़े बेसुध सड़को
गटरों मे
शराबी के मुँह
भला कौन लगे
तिरस्कार बाँहे
फैलाए खड़ा
तो क्या अब भी
शराब पीना जरूरी
अब जेब फटी
संग जीवन फटा।
