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Ruchika Rai

Inspirational

4  

Ruchika Rai

Inspirational

पानी

पानी

1 min
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पानी सी मैं निश्चल और सरल हूँ,

नही मन में रखती कोई गरल हूँ,

प्रेम रखो अगर मुझसे तो तुम,

निर्बाध रूप से बढ़ती पानी सा कल कल हूँ।


ऐसे तो हूँ बिल्कुल सहज शांत,

छोटी छोटी बातों से न होती अशांत,

क्रोध अगर आ जाये मन में कभी,

बन जाऊँ महासागर सा करूँ प्राणांत।


पानी सा बन हर आकार में मैं ढल जाऊँ,

ऐसे में मैं हर छोटी बड़ी मुश्किल सुलझाऊँ,

अगर छेड़ा मेरे पथ को अविरल जो है तो,

अनेकों तबाही लेकर मैं जीवन में आऊँ।


पानी बिना जीवन बन जाता है सपना,

प्यास लगे जब पानी सिवा नही कोई लगे अपना,

पानी ही जीव जगत का आधार बनें सदा,

पानी ही भूखे की भूख बनें और इज्जत ढँकना।


आँखों के कोरे से जो गिरे जल की बूंदें,

व्यथा मन की उनके संग बाहर आये,

खारा पानी आँखों से आकर मन को पाक करे,

पानी की महत्ता क्या है यह समझाये।


पानी की महत्ता को सबको समझाएं

एक एक बूंद जल की कीमत बतलाएं

आने वाली पीढ़ी को न पड़े जूझना संकट से

पानी को कभी व्यर्थ न हम बहाएं।


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