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Anjana Singh (Anju)

Others

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Anjana Singh (Anju)

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"पानी की बूॅंदें"

"पानी की बूॅंदें"

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किसी ने पूछा 

पत्तों पर पड़ी

बारिश की बुंदों से

कौन हो तुम?

यहॉं बिखरी पड़ी हो ?

अब मैं कैसें समझाऊं उन्हें

मैं वो आसमां की बूँद हूं

जो तरस रही थीं मिलनें को

धरती मॉं की गोद को,

कुछ गिरी इन पत्तों पर

और हममें से कुछ ने

धरती की गोद में‌ ली पनाह,

ज्यों-जयों चढ़ेगीं किरणें

मैं हो जाऊंगी फना,

संग मेरें बरस रहा है आसमां

तभी खुबसूरत लग रहा है शंमा

इन बूंदों सी है कुछ 

ख्वाहिशें मेरी....

कुछ आती है मेरें हाथों में

कुछ छुट जाती है मेरें हाथों‌ से!


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