पालना
पालना
काठ के पालने में मैं
जब जब तुझे झुलाती हूँ
माँ तू बहुत याद आती है।
इसी पालने में माँ ने मुझे
झुला झुलाया था,
हौले हौले लोरी गा कर,
मीठी नींद सुलाया था।
भोली सी सूरत में तेरी
मैं आइना देखती हूँ,
बाहों में लिए तुझे
नरम नरम से पाँवों में,
पहने वो मेरे गुलाबी मोज़े
माँ की याद दिलाती है।
पालने में झूलती मेरी परी
जब जब तू हँसती है
गालों पर पड़ते गढ्ढे,
हुबहू नानी जैसी लगती है
माँ तेरी याद दिलाती है।
यादें यादों में बसाए
सहेज कर सीने से लगाए,
झूलना झुलाती माँ तेरी यादों को
तस्वीरों में ज़िंदा रखा है।
माँ तेरी परी ने भी
माँ बन कर ही जाना है,
जननी से बड़ा नहीं जग में
मां तुझसे आज ये कहना है।
