Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Akhtar Ali Shah

Others

5.0  

Akhtar Ali Shah

Others

नफरत की दीवारें तोड़े

नफरत की दीवारें तोड़े

1 min
325


नफरत की दीवारें तोड़े ।

इंसान को इंसान से जोड़े ।।

एक सा खून बनाया सबका,

एक सा जान बनाई है।

स्वीकारें ये इसमें लोगों,

सबकी छिपी भलाई है ।।


हमको जन्म मिला यूँ प्यारा,

जन-जन को दें सदा सहारा ।।

जितने भी प्राणी हैं जग में,

दर्जा सबसे अलग हमारा ।।

कोई भी हम मजहब माने।

मानवता के सभी खजाने ।।

कभी किसी में बैर-भाव की

दिखी नहीं परछाई है।

स्वीकारें ये इसमें लोगों,

सबकी छिपी भलाई है।।


प्यार सिखाते हैं सब मजहब,

नफरत किसने सिखलाई कब।

किसने दर्द नहीं समझा है

पैरोकार दया के हैं सब ।।

पर पीड़ा को कौन बढ़ाता।

हिंसा से किसका है नाता।।

धरती पे दुख कैसे कम हों

सबने अलख जगाई है।

स्वीकारें ये इसमें लोगों,

सबकी छिपी भलाई है ।।


हम मजहब के लिए नहीं हैं,

कहो नही क्या बात सही है।

हमें जरूरत मजहब की तो,

अपने हित के लिए रही है ।।

कैसे जीवन अपना तारें।

दीनो दुनिया यहां संवारे।।

ठेकेदारों के हम मोहरे,

बनें बहुत दुखदायी है। 

स्वीकारें ये इसमें लोगों,

सबकी छिपी भलाई है।।  


मनके अलग एक माला है,

प्याले अलग एक हाला है।

"अनंत" रस्ते अलग अलग पर,

मंजिल पर एक रखवाला है।।

जब जैसी थी जहां जरूरत।

पैगम्बर लाए वो रेहमत।।

रहबर इंसानों के खातिर,

आए ये सच्चाई है।

स्वीकारें ये इसमें लोगों,

सबकी छिपी भलाई है।।


Rate this content
Log in