नमो नमो
नमो नमो
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एक सन्नाटा सा छा गया चहुँ ओर है ,
मेढकों का थम सा गया जैसे शोर है !
बारिश जब हुई जनता के मतदान की ,
नमो नमो का ही देखो चहुँ ओर शोर है !
बाढ़ सी आ गई कचड़ा सारा बहा ले गई ,
अब कल कल बहती नदिया का शोर है !
न बूँद बची इनकी आँखों में आँसुओं की ,
छुप छुप के रोते रोने का भी नहीं शोर है !
बेच के शर्म जो छाती तान खड़े होते थे,
जमानत भी जब्त हो गई ऐसा शोर है !!
