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Kumar Vikash

Others

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Kumar Vikash

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नमो नमो

नमो नमो

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एक सन्नाटा सा छा गया चहुँ ओर है ,

मेढकों का थम सा गया जैसे शोर है !


बारिश जब हुई जनता के मतदान की ,

नमो नमो का ही देखो चहुँ ओर शोर है !


बाढ़ सी आ गई कचड़ा सारा बहा ले गई ,

अब कल कल बहती नदिया का शोर है !


न बूँद बची इनकी आँखों में आँसुओं की ,

छुप छुप के रोते रोने का भी नहीं शोर है !


बेच के शर्म जो छाती तान खड़े होते थे,

जमानत भी जब्त हो गई ऐसा शोर है !!


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