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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Others

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

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नीलकंठ

नीलकंठ

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हम बिल में सब दिन

रहने वाले सांप हैं !

दुनिया के लिए हम

सब तो अभिशाप हैं !!

सब दिन रात अपने

बिल में छुपे रहते हैं !

प्रतिक्रियाओं से हम

घबराते रहते हैं !!


विष दन्त हमें सब दिन

उपराग देते हैं !

निरंतर प्रयोग का

सुझाव हमको देते हैं !!

इसलिए अर्धरात्रि में ही

हम उठ जाते हैं !

कटु वचन सुना के हम

फिर छुप जाते हैं !!


कोई आहत यदि

होता है तो हर्ज नहीं !

गोरिल्ला महारथियों

के लिए फर्क नहीं !!

हम नहीं जान पाते

कौन हमसे श्रेष्ठ हैं !

कौन समतुल्य हैं

कौन हमारे कनिष्ठ हैं !!


बाण के प्रहार का

हमें नहीं अनुमान है !

किनको आहत करे

इसका नहीं ज्ञान है !!

अपना काम करके

हम खुद छुप जाते हैं !

दूसरे के कटाक्षों को

हम सह नहीं पाते हैं !!


संकीर्णता से निकलना

हमको पड़ेगा !

गरल ग्रहण कर

नीलकंठ बनना पड़ेगा !!



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