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Ritu Sama

Others

5.0  

Ritu Sama

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नई सहर

नई सहर

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इस ज़िन्दगी से परे भी देख नादान

अस्तित्व को समेट कुछ आकांक्षाओं के तले

तूने जिसे मान लिया जीवन भर का सामान 

किसी और के अभिव्यक्त किसी और के कहे


अब ओझल हो जाने दे वो सुबह

जो लाती है बंदिशों भरा दिन

अगली सहर से पहले नया अंतरिक्ष चुन ले

सीमा हो जहाँ तक किरणे सूरज की उछले


सदियों से वाणी बोली औरों की निरंतर

या फिर साधी चुप्पी निस्वार्थ समर्पण

मुख को कह दे निसंकोच कर दे अब बयान

क्या संस्कृति और क्या सीख की खान


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