निबाह
निबाह
1 min
181
कभी कहते हैं,
वसुधैव कुटुम्बकम
कभी कहते हैं
सर्वोहम शांतिः
कभी कामना करते हैं
लोक कल्याण की
कभी बात करते हैं
विश्व उत्थान की
नदी-नाले-पेड़-पौधे
पशु-पक्षी-चाँद-तारे
सभी हमको लुभाते हैं।
दिखते रिश्ते तो
निभाती है दुनिया,
हम तो अनदेखे-अनकहे
अनजाने रिश्ते निभाते हैं।
