नारी (कविता)
नारी (कविता)

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नारी
नारी है तो प्यारी है
प्यारी है इसलिए क्योंकि वो नारी है
माँ की ममता अपार है
बहन है वो गले का हार है
प्रेमिका ही है जिसकी
काया पर दुनिया हमने वारी है
बीबी है जो देखभाल
करती हमारी है
नारी ने हर रूप में
जिंदगी सँवारी हमारी है
यहीं सरस्वती यहीं लक्ष्मी
इसकी महिमा न्यारी है