नारी का मौन
नारी का मौन
एक सवाल जो उस को कर देता मौन है,
पति पत्नी दोनों में श्रेष्ठ आखिर कौन है?
घर में आर्थिकी का आधार स्तम्भ कौन है,
बताओ कमाता कौन है इस पे वो मौन है।
हर मुश्किल का हल हर सवाल का जबाब,
घर की हर छोटी बड़ी बात का रखे हिसाब,
फिर भी कहते बात बात पर बता तू कौन है?
बस एक सवाल जो उस को कर देता मौन है।
सुबह से शाम शाम से रात बस काम ही काम
सारे काम हैं उसके नाम आराम है उसे हराम
इसके बावजूद पूछें उसका वजूद कि तू कौन है
बस एक सवाल जो उस को कर देता मौन है।
माना कि सब का है तू रोज सारा काम करती
पर हट कर पति के बटुए पर है नजरें टिकाती
कौन से तू पैसे कमाती बाकी सब काम गौण है
बस ये एक सवाल जो उस को कर जाता मौन है।
बच्चे का लालन पालन हो बड़ों को संभालना हो,
बिना रुके बिना थके काम ही जो करते जाना हो,
पत्नी धर्म उसे निभाना है फिर भी पूछे जमाना है,
पैसा तो पति ने तेरे कमाना तभी तो तूने खाना है।
इसिलिए हे पत्नी! तुझ से पूछा जाता कि तू कौन है?
बस यही तो एक सवाल जो तुझ को कर देता मौन है।
