नारी हूँ मैं
नारी हूँ मैं
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आँखें भर आना
आम बात है मेरे लिए
नारी हूँ मैं तो
सारी रूकावटें है मेरे लिए
नहीं सोचता है कोई
मेरी परेशानियों के बारे में
मेरी स्वतंत्रता अभी भी
कैद है सबकी निगाहों में
हर हुनर है पास मगर
नजरंदाज करते है सब
फैसले की घड़ी पे
दूर खड़े रेहते है तब
कमजोर बनाया गया
हर रूकावट होती है सामने
नहीं आता मुसीबत में कोई
मेरा हाथ थामने
फिर भी खड़ी हूँ पैरो पर
अपनी छवि को संभाले
कितने खड़े हो दुश्मन
खुद के हम रखवाले।