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Hitesh pal

Others

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Hitesh pal

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मुसीबत

मुसीबत

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यह क्या मुसीबत आयी है।।

घर होते हुये भी ज़िंदगी 

रास्ते पर ले आयी है

जिस पथ का न था पता

मुसीबत ने उस पथ पर

मीलों पैदल ले आयी है

यह क्या मुसीबत आयी है।।


दो वक़्त की रोटी के लिए

ज़िंदगी ने मीलों पैदल चलाया है

भूखा प्यासा रख घर पहुँचाया है

ज़िंदगी ने फिर अपनों से मिलाया है

घर की रोटी आज फिर नसीब आयी है

यह क्या मुसीबत आयी है।।


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