मुसीबत से मेरा वास्ता
मुसीबत से मेरा वास्ता
मुसीबत से है मेरा गहरा वास्ता
मुसीबत दिखाती है मुझे जीने का रास्ता।
नहीं घबराता मैं मुसीबतों से जीवन में
मुस्कुरा कर स्वागत करता हूँ उनका अपने मन में।
मुसीबत ही तो दिलाती है मुझे जीने का एहसास
मुसीबत में मालूम चलता है कि एक दिल है मेरे पास।
जो धकड़ता है ज़ोर ज़ोर से जब आती है मुसीबत भारी
मुसीबत ही है इस जीवन में ज्ञान की क्यारी।
जिसमे हैं बहुत से पुष्प निराले
जो परीक्षा लेते हैं मोर्चा संभाले।
इसलिए मत घबरा मुसीबत से मानव
मुसीबत को मत मान तू एक दानव।
यह तेरी ही परीक्षा की घड़ियाँ हैं
कांटे नहीं, ये तो कलियों कि लड़ियाँ हैं।
