मुख़्तसर सा ग़ुरूर
मुख़्तसर सा ग़ुरूर
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तेरे जलवा-ए-रुख्सार से, हूँ बेअसर नहीं,
मुझे है पता सब कुछ, ख़ुद की ख़बर नहीं।
मैं हूँ पसन्द,या नापसन्द, मेरे मूँ पे बोल दो-2
हमें मंजूर फैसला तेरा, तेरा अगर-मगर नहीं।
क्या जान कर करूँ, क्या चल रहा उधर-2
है होश गुम मेरा, मगर मैं बेख़बर नहीं।
बनेगा कल का तमाशा, मेरी बाहों से मत खेलो-2
ये रात का मसला है, सुनो ये दोपहर नहीं।