मनभावन सावन
मनभावन सावन
आषाढ गया सावन आया ,
रुत त्योहारों की संग लेकर ।
झूम झूम कर बदरा आए ,
वर्षा की रिमझिम लेकर ।।
सखी सहेली करे ठिठोली ,
झूले सावन में मगन झूले ।
चातक विरही स्वाति बूंद पा ,
पा प्रेमी को ह्रदय खिले ।।
शिव की पूजा स्तुति होवे ,
भक्ती का मन में भाव धरे ।
कांवड ले शिव भक्त चले ,
जय जय भोले का नाद करे ।।
चारो तरफ हुई हरियाली ,
जलमग्न तलैया ताल भये ।
दादुर बोले तर रही मीन ,
सावन में सभी रंगीन हुए।।
भाई-बहन के प्रेम का प्यारा,
रक्षाबंधन का त्योहार ।
बांध कलाई पर राखी निज ,
रक्षा का बहनें लेती उपहार।।