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Jyoti Astunkar

Children Stories Others

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Jyoti Astunkar

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ममता की भोर

ममता की भोर

1 min
250


सुबह सुबह उठकर झरोखे से ताकना,

धुंधले से उजाले में कुछ ढूंढना,

सामने की पांचवीं मंज़िल पर शायद,

कोई अलग सी हलचल नज़र आ रही है,


दूरबीन तो पास नहीं मेरे,

पर दूर के रसोईघर में एक साया नज़र आता है,

बाहर से देखूं तो सुकून भरी सुबह का नज़ारा,

पर उस रसोईघर में भगदड़ का माहौल है सारा,


सुबह के अभी ५:३० बजने को हैं,

हलचल में अब और जरा तेज़ी है,

कूकर की सीटी तो बजी है,

पर दाल अभी ठंडी होनी बाकी है,


बस १५ मिनट और हैं अभी,

आधे घंटे का काम समेटने को,

६:३० बजे की गाड़ी है,

राजू के कॉलेज जाने को,


दूरबीन तो नहीं पास मेरे,

पर रसोईघर की रोशनी बंद नज़र आती है,

पास वाले कमरे की खिड़की से अब,

धुंधले बल्ब सा उजाला नज़र आता है,


रसोईघर की तरह कोई हलचल नहीं,

पर एक सुकून भरी शांति दिखती है,

सुबह का धुंधला उजाला अब,

जरा साफ़ और तेज नजर आता है।



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