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Laxmi Tyagi

Others Children

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Laxmi Tyagi

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मकर संक्रान्ति

मकर संक्रान्ति

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कैसे निकलें ? रजाई से ,

होने वाली है भोर। 

इस' मकर संक्रांति 'में ,

ठंड का बहुत है जोर। 

तिल ,गुड़ ,रेवड़ी ,गज्जक से ,

होती ठंड की शुरुआत। 

आओ !मिलकर साथ बैठ ले ,

मिलकर तापे हाथ। 

मूंगफली तो हर किसी का मेवा ,

कुछ नहीं भाता, इस ठंड में ,

कितना ही अच्छा हो ?बिस्तर में,

 बैठे -बैठे हो जाये ,अपनी भी सेवा। 

बाजरा ,दाल की खिचड़ी ,हर किसी को भाय। 

ले उमंगें दिल में ,हर कोई पतंग उड़ाये। 

गुड़ के लड्डू खाए के ,गज्जक ली तोड़।

अब तो उठ जा प्यारे ,अब हो गयी है भोर।


अब हो गयी है ,भोर ,

इस ठंड में भी ,बच्चे करते हैं ,बहुत शोर। 

घर में बैठे ,बहुत दिनन से हो रहे थे बोर।

अपनी उमंग में ,करो न अधिक शोर। 

'जीव 'कोई कटे नहीं, बचा लीजिये जान। 

गरमा -गरम चाय मिले तो ,

इस ठण्ड में ,बच जाये हमरे भी प्राण।  


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