मज़दूर
मज़दूर
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मजदूर
मजे से दूर
फिर भी सरूर
कुछ अच्छा पाने का
अद्भुत रचना बनाने का।
मजदूर
गरीब लाचार
नित जोश से तैयार
हर बार विश्वास के साथ
ज्यादा मिल जाने की आस।
मजदूर
भाग्यहीन
श्रम में लीन
बिना शिकवे के
करता काम रात-दिन।
मजदूर
भूखा खड़ा
दिहाड़ी से जुड़ा
मेहनताने पर अड़ा
बेबसी पर और भी झुका।
मजदूर
अधूरे सपने
बच्चों की पढ़ाई
माता-पिता की दवाई
अच्छे की आस जिंदगी बिताई।
मित्रो, करें प्रण
उन्नति के स्तंभ से
आगे बढ़कर हाथ मिलाएँ
सही कीमत श्रम की देकर उसे
सुखद स्वप्न मज़दूर का साकार कराएँ।