मिट्टी के घरौंदे
मिट्टी के घरौंदे
1 min
180
मिट्टी के घरोंदे है,लहरों को भी आना है,
ख्बाबों की बस्ती है,एक दिन उजड़ जाना है,
टूटी हुई कश्ती है,दरिया पे ठिकाना है,
उम्मीदों का सहारा है,मुझे पार चले जाना है,
बदला हुआ वक़्त है,ज़ालिम ज़माना है,
यंहा मतलबी रिश्ते है, फिर भी निभाना है,
वो नाकाम मोहब्बत थी,अंजाम बताना है,
अश्कों को छुपाना है,गज़ले भी सुनाना है,
इस महफ़िल में सबको,अपना ही माना है,
"कुमार" कैसा है,दोस्तों आपको ही बताना है।
