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अनूप अंबर

Others

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अनूप अंबर

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मिलते हैं लोग बिछड़ जाते हैं

मिलते हैं लोग बिछड़ जाते हैं

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मिलते हैं लोग बिछड़ जाते है

ये आंसू प्यार के मोती है 

इनको ऐसे ना इनको बहाते है

अपने कर जाते घाव बहुत गहरा

अजनबी को क्या पता

कौन से गम हम छुपाते है


मिलते है लोग बिछड़ जाते हैं


अपनो के सहारे हम

निकले थे कस्तियां ले कर

मुझको क्या खबर थी

अपने ही अपनो को डूबते हैं


मिलते है लोग बिछड़ जाते हैं



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