मेरी प्रेरणा
मेरी प्रेरणा
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मेरी बहन
मुझ से छोटी
परिवार में भी सबसे छोटी,
बनी मेरी प्रेरणा स्रोत काव्य के क्षेत्र में।
बचपन से पढाई में सबसे अव्वल
बहुत छोटी उम्र से काव्य सृजन किया,
उसकी लेखनी ने मुझे प्रेरित किया
मैने भी लिखने का निश्चय किया।
जो भी लिखती उसे पढ़ाती
उसे वो और सुन्दर रूप दे जाती ।
बस इसी तरह शुरू किया ये सृजन का सफर ,
अब तो यह अनवरत चलता ही रहता।
धीरजा के साथ नीरजा भी जाने लगी,
आज भी कुछ अटक जाए बात
वो ही करती है बेड़ा पार
मेरी बहन , मेरी प्रेरणा स्रोत।
