मेरी नौकरी
मेरी नौकरी
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बचपन से मुझ में रहा कविता का रुझान
रचना करने को मिला भावों का वरदान
दोहे मुक्तक और कई विधियों का रहा ज्ञान
भाषा शैली दोनों का मुझ को है संज्ञान
लिखने की प्रवृत्ति ने टाइपिंग को दिया विस्तार
जॉब उसी की कर रहा मैं भी बारम्बार
ठाकुर पब्लिकेशन में मिला टाइपिस्ट का अधिकार
इससे मेरी बढ़ गई टाइपिंग की रफ्तार
