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क़लम-ए-अम्वाज kunu

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क़लम-ए-अम्वाज kunu

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मेरी माँ

मेरी माँ

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मैं एक शब्द हूँ तुम पूरी भाषा 

मैं कुंठित हूँ तुम एक अभिलाषा 

निज अवगत मुझे तुम्हारी ममता की छाया

पल पल भींगता जाऊँ स्नेह में तुम्हारे

बस यही मेरी अभिलाषा बनी रही मेरी माँ 

मेरा तुमसे ही परिभाषा 


मैं समुंदर एक लहर मात्र है तुम झरनों का निर्मल स्वर 

मैं एक शूल सा खड़ा राह में तुम सहस्त्र ढाल प्रखर


मैं तुम्हारे स्वर से सृजित कामिल श्रृंगार सा

तुम उसकी अनुक्रमणिका 

मैं निष्ठुर पाषाण सा अडिग हृदय

तुम कोपल कंचन की कृनीका 

निज अवगत मुझे तुम्हारी ममता की छाया

पल पल भींगता जाऊँ स्नेह में तुम्हारे

बस यही मेरी अभिलाषा बनी रही मेरी माँ 

मेरा तुमसे ही परिभाषा 


मैं राजा दुलारा बेटा तुम्हारा तुम मेरी प्यारी मम्मा

तुम ही सरस्वती का उद्गम हो दुर्गा, राधा और चण्डिका 

मैं एक शब्द हूँ तुम पूरी भाषा 

मैं कुंठित हूँ तुम एक अभिलाषा 

निज अवगत मुझे तुम्हारी ममता की छाया

पल पल भींगता जाऊँ स्नेह में तुम्हारे

बस यही मेरी अभिलाषा बनी रही मेरी माँ 

मेरा तुमसे ही परिभाषा 


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