मेरी दुनिया
मेरी दुनिया
एक ख्वाब से था तू
रहता मेरे भीतर,
फिर आया एक दिन
तू नन्हा सा जीव बन मेरे अंदर,
था एक बीज के जैसा
या हो मोती
जैसे सीप के अंदर।
पलता रहा तू
बढ़ता रहा तू
मैं सोचती तुझको
मैं जीती तुझी को
थी एक प्यासी बूंद मैं
तू था मेरा समंदर।
फिर आया एक दिन
तू मुझसे बाहर
इस जग का होकर।
जब देखा तुझको मैंने
और तूने मुझको
थम गई ये दुनिया
उस पल में
एक पल को।
तू था मेरा बालक नन्हा
या था तू मेरी दुनिया सारी
मैं थी तेरी माँ
या हुई थी पूरी एक नारी।
तेरी बिन दाँत की हँसी
लगे फूल सी मुझे
तेरे मोती से आँसू
लगे शूल से मुझे।
तू था प्यार से भी प्यारा
सबका दुलारा
डर गई थी मैं
तुझे .....
यूँ सबका होता देखकर।
देखती हूं अब
जब तुझे बढ़ता देख कर
जीती हूँ
फिर से अपना बचपन
अब तेरे अंदर
तू नन्हा बालक मेरा
तू ही दुनिया है मेरी।