मेरी आंखों को मिली सजा
मेरी आंखों को मिली सजा
मेरी आँखों को मिली सजा आज रात तेरी ख़ातिर,
ख्वाबों में दीदार की तमन्ना लिए रोते रहे तेरी ख़ातिर ।
आदत नहीं थी किसी से मोहब्बत करने की हमारी,
जुर्म-ए-मोहब्बत मे मिली सजा बेकरार रहे तेरी ख़ातिर ।
सजा बन गई है जिदंगी मोहब्बत में हमारी रूसवा हो,
जुर्म तुम से भी हुआ, मुझे ही क्यूँ मिली सजा तेरी ख़ातिर ।
अब न तुम्हे याद करेंगे ना कभी प्यार से आवाज़ देंगे,
हर बार उम्मीद रखता है दिल फिर टूटता है तेरी ख़ातिर
जहान में एक ही शख्स था जिसने "राज" का चैन लूटा,
वफा में लाजमी था अश्को का बहना दिन-रात तेरी ख़ातिर ।
