मेरे सपनो का भारत
मेरे सपनो का भारत
जहाँ हर घर में हो उजास, तो समझो भारत है,
जहाँ कोई न हो उदास, तो समझो भारत है,
जहाँ दिल में न हो खटास, तो समझो भारत है,
जहाँ आपस में हो विश्वास, तो समझो भारत है।
जोश हो जज़्बात हो,हर तरफ आह्लाद हो
इत्र हो इंसानियत का,
सिलसिला हो तकनीक का,
बने त्याग का ताना-बाना,
मन में सदा रहे जन गण मन का गाना,
स्वस्थ्य रहे, निर्भय रहे, और रहे श्रमशील,
तकनीक और विज्ञान की मदद से बनाये देश को गतिशील।
मार्ग दर्शक ही नहीं, मार्ग निर्माता भी हो शिक्षक,
व्यापार नहीं, सदाचार, सद्ज्ञान, और स्नेह का वाहक हो शिक्षक।
ललक हो इंसानियत की जिसमें, झलक हो आत्मीयता की जिसमें,
विश्वास की वर्णमाला से सजा संवेदनशील समाज हो इसमें।
वनों में हरियाली का नूर हो,नदियों में जल भरपूर हो,
खेतों में हरियाली हो,और किसान के चेहरे पर खुशहाली हो।
रोशनी के कलश जैसा,भू मुकुट के सुयश जैसा,
तमसो मा ज्योतिर्गमय,का उच्चारण लिए, घर-घर गूंजेगी यह लय,
मेरा भारत अमर रहे, मेरा भारत अमर रहे,।
