मेरे कृष्णा
मेरे कृष्णा
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श्रीकृष्ण का रूप अद्भुत अविनाशी अविकार ,
उन्हें देख जैसे कोई तेज पुंज हुआ है साकार,
मन मेरा खींचता है मुझे उसी की ओर बार-बार,
तेरे घने काले बालों को देख बदरा भी छा जाए,
सिर पर साजे मोर मुकुट तुझ में सारे रंग समाए,
अद्भुत अनुपम रूप सलोना जिसे देख दिल हर्षाये,
कोमल अधरों से मधुर मुरली की धुन बजाकर ,
वृंदावन में मन मोहकर गोपियों संग रास रचाए,
श्री कृष्ण की प्रेम बंसी एक सुर में जब बजती है,
तब हर स्थान पर उनको राधा ही राधा दिखती है!
