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राजेन्द्र कुमार मंडल

Children Stories Others

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राजेन्द्र कुमार मंडल

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मेरे कन्हैया हो

मेरे कन्हैया हो

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मेरे कन्हैया हो, घर -घर बजे बधैया,

मोर मुकुट श्याम तन धारी।

नटखट ऐसा, रहे तंग यशोदा बेचारी।।

खाया चुरा- चुरा कर माखन पूछे मैया,

मेरे कन्हैया हो, घर- घर बजे बधैया।।


बंधु-सखा संग खेले आंख-मिचौली,

राजमहल की बढ़ाए बेचैनी।

यमुना किनारे कन्हैया हो, चरावै गैया।

मेरे कन्हैया हो, घर- घर बजे बधैया।।


यमुना तट पर रास रचावै,

सैकड़ों गोपियां संग नाचे-गावै ।

प्रीत की जलधारा में, राधा संग चलावे नैया।

मेरे कन्हैया हो, घर-घर बजे बधैया।।


मीरा ऐसी तेरी दीवानी बनी,

सूरदास की भी कहानी सुनी।

तेरी लीला गा गाकर बने गवैया।

मेरे कन्हैया हो, घर घर बजे बधैया।।


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