मेरे कन्हैया हो
मेरे कन्हैया हो
मेरे कन्हैया हो, घर -घर बजे बधैया,
मोर मुकुट श्याम तन धारी।
नटखट ऐसा, रहे तंग यशोदा बेचारी।।
खाया चुरा- चुरा कर माखन पूछे मैया,
मेरे कन्हैया हो, घर- घर बजे बधैया।।
बंधु-सखा संग खेले आंख-मिचौली,
राजमहल की बढ़ाए बेचैनी।
यमुना किनारे कन्हैया हो, चरावै गैया।
मेरे कन्हैया हो, घर- घर बजे बधैया।।
यमुना तट पर रास रचावै,
सैकड़ों गोपियां संग नाचे-गावै ।
प्रीत की जलधारा में, राधा संग चलावे नैया।
मेरे कन्हैया हो, घर-घर बजे बधैया।।
मीरा ऐसी तेरी दीवानी बनी,
सूरदास की भी कहानी सुनी।
तेरी लीला गा गाकर बने गवैया।
मेरे कन्हैया हो, घर घर बजे बधैया।।
