मेरे देश की सरकार
मेरे देश की सरकार
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मेरे देश की सरकार,
सुन लीजिए मेरी करूण पुकार,
बचा लीजिए मेरा निर्धन परिवार।
हाय रे ! ये दुख के अंबार,
नहीं सहन हो रहे अबकी बार,
इसलिए लगा रहा हूँ मैं गुहार।
कोई तो सुनले मुझ अभागे के विचार,
और कहीं से भी रोटी लादे मेरे घर दो-चार।
खाली पेट ने अब तो मिटा डाले हैं,
मेरे भीतर के संस्कार और,
भूल चुका हूँ मैं आपसी व्यवहार।
समझ नहीं आता कि कहाँ जाऊँ,
किसे अपना दुखड़ा सुनाऊँ,
कोई सुनने को तैयार नहीं।
आस-पड़ोस वाले मुझे समझाते हैं,
मुझमें फिर से जीने की चाह व उमंग जगाते हैं।
पढ़ा-लिखा होने के बावजूद
नौकरी के नहीं कोई आसार,
आप ही बताइए मेरी भारत-सरकार।
