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Navin Madheshiya

Others

5.0  

Navin Madheshiya

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मेरा प्यारा स्कूल

मेरा प्यारा स्कूल

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रास्ते थे पुराने, कुछ जाने -पहचाने

पगडंडियाँ भी पहचानती थी 

स्कूल भी पुराना था, बच्चे भी थे 

लेकिन सब अनजाने

खोज रही थी निगाह 


उन पुराने मित्रों को,

उन पुराने रिश्ते को 

हर  पल  हर  नजर 

नजर थी उन सीढ़ियों पर 


जहां हम बैठा करते थे 

बैठा रहा उन रास्तों पर 

इंतजार करते करते 

और चला आया लौट

मायूस होकर


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