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Mamta Singh Devaa

Others

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Mamta Singh Devaa

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मेरा मैं

मेरा मैं

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क्यों बदलना चाहते हो मुझे 

आकर मुझे भी बताओ

चलो सारा का सारा नही 

थोड़ा सा ही समझाओ ,


मैं ऐसी हूँ मैं वैसी हूँ मैं जैसी भी हूँ 

तुम मुझको ऐसे ही स्वीकारो

बात बात पर हर बात पर 

तुम मत मुझको सुधारो ,


तुमसे झगड़ती हूँ मैं 

उसकी वजह बताओगें

या अपनी भी गल्तियों का इल्ज़ाम 

मुझ पर लगाओगे ,


मैं बहुत कड़वा बोलती हूँ ?

चलो ये बात स्वीकारती हूँ

लेकिन सबके सामने मीठा बोल कर 

पीछे छुरी तो नही चलाती हूँ ,


क्या कहा ? सांवला रंग है मेरा 

अरे ! इसमें मेरा क्या कसूर है

तुमको गुण नही दिखते मेरे

आँखों पर उपरी रंग का चढ़ा सूरूर है ,


हर वक्त मीन - मेख निकालने में 

जरा नही हिचकिचाते हो

इतना ज़हर बोलते वक्त 

थोड़ा भी नही सकुचाते हो ,


कमियां किसमें नहीं होती हैं

पर यूँ ना एहसास कराओ

खुद को मेरी नज़रों में 

तुम यूँ ना गिराओ ,


मेरा मेरे मैं के साथ रहने में 

ऐसे मत घबड़ाओ

मुझको मेरे मैं के साथ 

पूरा का पूरा अपनाओ ।



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